Sunday 20 May 2018

पगली लड़की हैं बारिशो मे भीग लौट आयेगी,

जो निकली हैं जुस्तजू किधर जाएगी
पगली लड़की हैं बारिशो मे भीग लौट आयेगी,


जो दुनिया हैं बाहर तुम्हारे ख्वाबो के इतर
हर मोड़ पर तुम्हे गिराएगी रुलायेगी,

चाँद आँखों से उतरकर यादोँ में गुम हो जायेगा
वक़्त के साथ शैतानियां सलीको में बंध जायेगी,

तकदीर छोड़ आया हूँ पीछे बस हुनर पर यकीन हैं,
इस दौर में कोई सबरी हमे क्यो बेर खिलाएगी,

एक वो भी मंजर आयेगा दौरान ए सफ़र ,
थकान खुद बगावत को  लिए उकसायेगी,

कितनी कमज़ोर निकली अमन चैन की बुनियादें,
हमे यकी नही था ये भीड़ उसे गिरा पाएगी,

बता तो दु तुमको किस्सा ए बर्बादी ए ज़फर
जो सुन सको तुम,जब आँख मेरी भर आएगी।

7 comments:

  1. ये दुनिया तो ऐसी ही है ... कठोर ... ज़ालिम ...
    पर ख़्वाबों में ही तो जीवन नहीं ...
    लाजवाब है ग़ज़ल और अच्छे शेर ...

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    1. ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या हो..

      Thnkw sir

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  2. "पगली लड़की हैं बारिशो मे भीग लौट आयेगी" - is se sahi, aur achha, kuchh ho nahi sakta..

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (28-07-2018) को "ग़ैर की किस्मत अच्छी लगती है" (चर्चा अंक-3046) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. धन्यवाद sir अपने इस पोस्ट तो लायक समझा।

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