Wednesday, 15 August 2018

कैसे गुजरी रात याद नही रहता






कैसे गुजरी रात,याद नही रहता ,
हर सुबह मैं अपने साथ नही रहता ...


कुछ ख्याल आकर ख्वाबो को सजाते हैं ,
सोये हुये मैं कभी बर्बाद नही रहता ...

तेरे शहर में ये कौन सा मौसम हुआ करता हैं ,
तुम्हारे खतो में कभी जज्बात नही रहता ....

अपने ही आजकल जख्म दिया करते हैं ,
हर मुश्किल में,दुश्मनों का हाथ नही रहता ...

मत उलझाओ इसे मौलवियों पडितो के झगडे में ,
मज़हबो का मसला दिलो के साथ नही रहता ...

कहते कहते  कुछ रुक जाता हैं जफ़र
जब दिल गिरफ्तार हो तो जुबा आजाद नही .....

6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका .

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  2. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/83.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. मित्र-मंडली की एक सदस्या ने आपके नाम का जिक्र किया है. हो सके तो वहाँ अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कर दें . सादर .

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद sir.

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