कुछ ख्याल आकर ख्वाबो को सजाते हैं ,
सोये हुये मैं कभी बर्बाद नही रहता ...
सोये हुये मैं कभी बर्बाद नही रहता ...
तेरे शहर में ये कौन सा मौसम हुआ करता हैं ,
तुम्हारे खतो में कभी जज्बात नही रहता ....
तुम्हारे खतो में कभी जज्बात नही रहता ....
अपने ही आजकल जख्म दिया करते हैं ,
हर मुश्किल में,दुश्मनों का हाथ नही रहता ...
हर मुश्किल में,दुश्मनों का हाथ नही रहता ...
मत उलझाओ इसे मौलवियों पडितो के झगडे में ,
मज़हबो का मसला दिलो के साथ नही रहता ...
मज़हबो का मसला दिलो के साथ नही रहता ...
कहते कहते कुछ रुक जाता हैं जफ़र
जब दिल गिरफ्तार हो तो जुबा आजाद नही .....
जब दिल गिरफ्तार हो तो जुबा आजाद नही .....
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ अगस्त २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आपका .
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/83.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी धन्यवाद्
Deleteमित्र-मंडली की एक सदस्या ने आपके नाम का जिक्र किया है. हो सके तो वहाँ अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कर दें . सादर .
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद sir.
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