Saturday, 25 August 2018

ये मौसम क्यों नही बदल जाता ...!!!





ये धूप क्यों नहीं छट्ती ,

कोई बदरी क्यों नहीं उमड़ती .
कोई सावन क्यों नही बुलाता ,
ये मौसम क्यों नही बदल जाता ...

भारी हैं बहुत मुशकिल समय ,
उदास तू परेशां मैं .
बेचैनी सी दिल पे छायी,
बातो बातो में,आख छलछलायी .
यादो के साये मंडराते ,
बेबसी मे हमको डुबाते.
ये जो हैं वो काश नही होता ,
ना तू परेशा,न मैं रोता .
एक दुसरे में हम खो जाते ,
वो शुरुवाती लम्हे क्यों नही लौट आते ...

जागी जागी फिर राते फ़ोन पकडती ,
ना आख लगती ना जुबा थकती .
दूर से ही सही कोई साथ होता ,
रगों मैं खुशनुमा एहसास होता .
डरी -डरी अंगुलिया हिम्मत जुटाती ,
जुबा कहते कहते लड़खड़ाती .
गर्म साँसे फिर भारी हो जाती .
हाय फिर कोई दामन बचाता,
ये मौसम क्यों नही बदल जाता .......

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