Sunday, 9 September 2018

ज़िन्दगी आग हैं पानी डालते रहिये



ज़िंदगी आग हैं पानी डालते रहिये
हर मोड़ पर दिल का सिक्का उछालते रहिये,


दिखने लगी हैं नमी,हसीन  आँखों में
अल्लाह उसका काजल सँभालते रहिये,

धड़कनें बेजान हो जाती हैं बेचैन रातों को
हर सुबह मुर्दों  में जान डालते रहिये

टूट कर वो बाहों में पिघल जायेगा
दिल में ये ख़्वाब  पालते रहिये,

 कुछ दिनों में हम ज़िद छोड़ ही देगे
 आप बस हमारी बात टालते रहिये,

चाँद की जुर्रत नहीं कि टिक पाये
चाँदनी रात में धीरे-धीरे घूँघट निकालते रहिये,

एक रोज़ मैं लौटूँगा शगुन का सिक्का लेके
आप हाथों की मेहँदी संभालते रहिये,

तुम्हारे ख़्वाबों  की इमारत बहुत बुलंद हैं
तेज़ धूप में अभी पत्थर निकलते रहिये....

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